नई उम्मीदें
टाईम पत्रिका ने ब्लॉगिंग के बढ़ते हुये प्रभाव के बारे में में लिखा है। हिन्दी ब्लॉगिंग में विविधता बढ़ रही है और हर मिज़ाज के ब्लॉग्स पैदा हो रहे है…इससे उम्मीद है कि जल्द ही हिन्दी ब्लॉगिंग अपनी शुरूआती दौर से निकलकर एक नये युग में पहुँचेगी।
आस्कजीव्स द्वारा ब्लॉगलाइन्स का अधिग्रहण
ब्लॉगों की संख्या और ब्लॉग सेवा की जरूरतें दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। विभिन्न स्रोतों से जानकारियां प्राप्त करने के लिये ‘एग्रीगेटर’ की आवश्यकता होती है ताकि लोगों को जानकारी के लिये भटकना न पड़े। ब्लॉगलाइन्स ऐसा ही एक महत्वपूर्ण आनलाईन एग्रीगेटर है। आस्कजीव्स द्वारा ब्लॉगलाइन्स का अधिग्रहण कभी हाँ हाँ और कभी ना ना करते करते आखिरकार आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा हो ही गयी कि आस्कजीव्स ने ब्लॉगलाइन्स का अधिग्रहण कर लिया है, इससे ब्लॉगलाइन्स को कोई फायदा हो ना हो, लेकिन आस्कजीवस् को भरपूर फायदा होगा, क्योंकि उसे ब्लॉगलाइन्स के अथाह उपभोक्ता जो मिल जायेंगे। अधिग्रहण की कीमत अनुमानित लगभग 250 लाख डालर आंकी गई। सैकड़ों – हजारों ब्लॉगरों को आशा है कि ‘आस्कजीव’ ब्लॉगलाइन्स के मूल स्वरूप में बदलाव नहीं करेंगे। अभी तक देखा गया है कि ब्लॉगर सेवायें बिकने के बाद उपेक्षा का शिकार हो गयीं। सिर्फ गूगल द्धारा ब्लॉगर की खरीद एक अपवाद है जिसकी सेवायें बदस्तूर जारी हैं, सेवाओं में निरंतर सुधार के साथ। पूरा समाचार यहाँ पढिये।
क्या याहू सिक्स अपार्ट को हथिया लेगा?
‘ब्लॉगलाइन्स’ की बिक्री के साथ इस बात पर बहस तेज हो गयी कि याहू को एक मात्र मुफ्त ब्लॉग सेवा ‘सिक्स अपार्ट’ को खरीद लेना चाहिये। जनवरी में सिक्स अपार्ट ने लाईव जर्नल को खरीद तकरीबन 55 लाख प्रयोकंताओं का साथ पा लिया। सिक्स अपार्ट अभी तक मुक्त है शायद इसीलिए डेविड जैक्सन ने यह विवादास्पद भविष्यवाणी की।
गूगल अब डोमेन रजिस्ट्रेशन के क्षेत्र में भी?
अपने गूगल भइया, जिनके अगले कदम के बारे में तरह तरह के कयास लगाये जाते है और दुनिया के सारे कम्प्यूटर वाले आंखे गड़ाये उनकी खबरों का इन्तजार करते है, अब डोमेन रजिस्ट्रेशन के क्षेत्र मे भी आने वाले है, इसका मतलब है कि अब जब आप मेराब्लॉग डॉट कॉम जैसा कोई डोमेन खरीदने निकले तो गूगल भइया भी आपको सेवा प्रदान कर सकते है। वैसे तो इस धन्धे मे कोई खास कमाई है नही ऊपर से प्रतिस्पर्धा इतनी कि पूछो मत, लेकिन गूगल के कूदने से तो माल फ्री ही बँटेगा। अब बाकी लोग अपनी दुकान बंद करे या बेचे, उपभोक्ता तो खुश। है ना मजेदार खबर।
अब एबाउट डाट कॉम भी बिकाऊ
बेचने खरीदने का सिलसिला जो 2004 मे चालू था वो 2005 मे भी थमता दिखाई नही देता। अब एबाउट डाट काम, इन्टरनेट पर सबसे बड़ी गाइड साइट, जिस पर हर क्षेत्र के बारे मे कुछ ना कुछ जानकारी है, सुना है वो भी बिकाऊ है, खरीददारों की दौड़ मे याहू चाचा, गूगल भईया और अपने आस्कजीव्स वाले भी दौड़ लगा रहे है।
ब्लॉग दिस
एम.एस.एन.बी.सी डॉट काम, जो कि इंटरनेट पर सूचना तथा पत्रकारिता के लिये सेवायें प्रदान करती है, ने बेहतर संचार के लिये ‘ब्लॉग दिस’ नामक सुविधा प्रदान की है। इसके जरिये एम.एस.एन.बी.सी.काम के लिये सूचना प्रदान करने हेतु ‘ब्लॉग’ तथा समाचार तत्परता से लिखे जा सकते हैं।
कमेंट स्पैम को धता बताएगी “नो फोलो”
प्रमुख सर्च इंजन कंपनियों एम.एस.एन, याहू, गूगल तथा ब्लॉग के लिये सुविधा प्रदान करने वाली कंपनी सिक्स अपार्ट ने ‘कमेंट स्पैम’ रोकने के लिये कमर कस ली है। अधिकतर ब्लॉगर अपने ब्लॉग में टिप्पणी की सुविधा प्रदान करते हैं। यह ‘स्पैमर’ के लिये सुविधा देता है कि वे टिप्पणी की जगह दूसरी कड़ियां डाल दे। ‘नोफॉलो’ नामक यह सुविधा ब्लॉग में प्रदान की जायेगी ताकि स्पैम की समस्या खतम हो सके। जब नोफॉलो की HTML टैग स्पैमग्रसित कड़ी के अंत में जोड़ दिया जावेगा तो यह खोज ईंजिनों के लिए संकेत होगा कि इस कड़ी की परवाह न करें, उद्देश्य यह है कि कड़ी जबरिया पोस्ट करने का स्पैमर को लाभ न मिले। यह टैग ब्लॉगिंग के औज़ार खुद ही जोड़ देंगे। इस लेख में और विस्तार से जानकारी दी गई है।
गूगल को गुस्सा कब आता है?
बहुत से लोग ब्लॉग को अपनी दिल की भड़ास निकालने का साधन मानते हैं। मार्क जेन ने भी कुछ ऐसा ही किया। गूगल में नौकरी करते थे। उसकी कुछ नीतियों की आलोचना कर बैठे अपने ब्लॉग में। निकाल दिये गये कान पकड़ के बाहर, बाद की सफाइयां काम नहीं आई। अगर मार्क जेन महाभारत कथा (समय पाकर राजा की स्तुति करनी चाहिये) पर अमल करते तो शायद अभी वे गूगल में रहते — अनाम, अन्जान, किसी एक आंकड़े की तरह। ये घटनायें अब आम होने लगी हैं, हाल ही अमरीका में डेल्टा एयरलाईन्स की एक विमान परिचारिका को अपने ब्लॉग में कार्यालयीन गणवेश में खींचे चित्र छापने पर निकाल बाहर किया गया था।
“कटपेस्ट” सुल्तान
इंडिया अनकट के अमित वर्मा ने रोहित पिंटो द्वारा साहित्यिक चोरी का मामला बड़े जोर शोर उछाला। एक चिट्ठे की टिप्पणी में कुमारगुरु ने चिट्ठों कि चोरी की अलावा रोहित कि और हरकतों का भी खुलासा किया। खैर, कई पहचाने चिट्ठाकारों के लगातार दबाव से इतनी बात बनी कि रोहित ने अंततः माफी मांग ली और चिट्ठे हटा लिए। तब शायद अमित को लगा कि सही होते हुये भी कुछ ज्यादा ही उत्साह दिखाया गया, रोहित पिंटो को घेरने में। बहरहाल, मामले का पटाक्षेप हो गया है और रोहित का जालस्थल अब भारतीय ब्लॉजगत की सुर्खियाँ पेश करके शायद पश्चाताप कर रहा है।
प्रद्युम्न की दूसरी पारी
समाचार माध्यमों पर कड़ी नज़र रखने वाले प्रद्युम्न माहेश्वरी का गत वर्ष बंद हुआ चिट्ठा “मीडियाह” अपने तीखे तेवर के साथ पुनः प्रारंभ किया गया है, आशा है इस बार की पारी लंबी होगी।
इंडीब्लॉगीज़ 2004 संपन्न
भारतीय लेखकों द्वारा रचित चिट्ठों पर केंद्रित ब्लॉगीज़ का भारतीय संस्करण अपने दूसरे साल में ज्यादा पहचाना गया पर नई पद्धति के अंर्तगत गठित 12 सदस्यीय ज्यूरी के चयन और चिट्ठों के चुनाव पर कुछ आपत्तियां भी उठीं। उल्लेखनीय रूप से इस बार कई चिट्ठाकार और संस्थान पुरस्कार प्रायोजन के माध्यम से इस आयोजन आ कर जुड़े जिनमें ब्लॉगस्ट्रीट, फीडडेमन, ब्लॉगजेट, माइक्रोसॉफ्ट शामिल थे। यह बात भी उल्लेखनीय है कि भारतीय भाषाओं की सहभागिता भी पिछले वर्ष की तुलना में आशातीत रही। इस आयोजन का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार यानि कि सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग का पुरस्कार मिला अतानु दे के चिट्ठे दीशा को। अधिक जानकारी यहाँ है।
समाचार संकलन व अनुवादः रमन बी, जीतेन्द्र, अतुल, देबाशीष तथा अनूप
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