न सदियों से सर्वोपरि रहा है। आज के इस आधूनिक युग में ज्ञान एवं सूचना का महत्व और भी अधिक है। अंतर्जाल जो कि लाखों करोड़ों सजालों का नेटवर्क है, के जरिए आप दुनिया के किसी भी कोने से क्षणभर में जानकारी हासिल कर सकते हैं। अब विद्यार्थियों को विदेश स्थित कालेजों के लिए उन्हें चिट्ठी भेज कर महीनों उनके जवाब की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती। वे सीधे अंतर्जाल पर स्थित उस कॉलेज के सजाल पर जाकर उनके बारे में जान सकते हैं। अंतर्जाल द्वारा किसी भी सजाल पर जाने एवं उस पर प्रकाशित जानकारी को पढ़ने के लिए, कम्पयूटर, अंतर्जाल से संयोजन अथवा सम्बन्ध के अलावा एक और प्रोग्राम की जरुरत होती है जिसे कि ब्राउज़र कहते है। यह लेख फायरफॉक्स नामक एक लोकप्रिय ब्राउज़र के बेहतर प्रयोग के बारे में हैं।
नेटस्केप व माइक्रोसॉफ्ट
फायरफॉक्स की उत्पत्ति की कहानी बहुत रोचक है। 1994-97 के बीच अंतर्जाल कालेजों की कमप्यूटर शालाओं से निकल कर सामान्यजन के बीच अपनी पकड़ बना चुका था। उस समय नेटस्केप नाम का ब्राउजर काफी प्रसिद्ध था। मैं भी नेटस्केप का दिवाना था। जब नेटस्केप ने अपना 3.0 प्रारुप निकाला था तब अंतर्जाल की गति बहुत कम थी, इतनू कम कि इसे डाउनलोड करने में 13 घंटे लगे थे। खैर नेटस्केप की प्रसिद्धि के चलते सॉफ्टवेयर जगत के 100 क्विंटल गौरिल्ला माइक्रोसॉफ्ट की नजर उस पर पड़ चुकी थी। माइक्रोसॉफ्ट को अंतर्जाल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के अलावा अंतर्जाल की तकनीकों को भी अपनाना था। फिर तो माइक्रोसॉफ्ट ने ऐसा जाल बिछाया कि 1999 के खत्म होने के साथ साथ नेटस्केप के ब्राउजर एवम् कम्पनी दोनों का ही खात्मा हो गया। मैं भी नेटस्केप से माईक्रोसॉफ्ट के इंटरनेट एक्सप्लोरर पर आ गया।
राख से फिर उठा फायरफॉक्स
डूबते डूबते नेटस्केप ने अपने ब्राइज़र को बनाने की सारी जानकारी यानि कि सोर्सकोड अंतर्जाल पर मौज़िला प्रोजेक्ट के तहत उपलब्ध करवा दी। इसी मौज़िला प्रोजेक्ट से मौज़िला सूईट का जन्म हूआ जो कि आज अपने 1.7 प्रारूप में है। मौज़िला सूईट में तीन प्रोग्राम आते हैं- ब्राउजर, ईमेल यानि विपत्र के लिए प्रोग्राम एवं कम्पोज़र जिसे की आप सजाल बनाने के लिए प्रयोग कर सकते हैं। मौज़िला प्रोजेक्ट के ही कुछ सुधीजनों को लगा कि सामान्यतः सभी केवल ब्राउजर का भी प्रयोग करते हैं। इसी धारणा से उत्पत्ति हूई फायरफॉक्स की जो है तो केवल एक ब्राउजर है पर साधनयुक्त और क्षमतायुक्त। आज यह अपने 1.0 प्रारुप में है। इसकी प्रसिद्धि का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि अंतर्जाल पर उपलब्ध होने से अब तक इसके 2 करोड़ से भी ज्यादा डाउनलोड हो चुके हैं।
फायरफॉक्स के बेहतर उपयोग के तरीके
टैब्ड ब्राउज़िग
फायरफाक्स के द्वारा आप एक ही विंडो में एक से अधिक सजाल खोल सकते है। जबकि इंटरनेट एक्सप्लोरर में एक से अधिक सजाल खोलने के लिए नई विंडो खोलनी पड़ती है। उदाहरण के लिए नीचे दी गई छवि देखिए – एक साथ मेरा पन्ना, अक्षरग्राम व बुनो कहानी खुले हूए हैं
आप Ctrl + T दबा कर अथवा माउस का दायाँ क्लिक करके Open in New Tab द्वारा एक नया टैब खोल सकते हैं। टैब्ड ब्राउजिंग का एक बहुत ही उम्दा प्रयोग है अपने अभी खुले हुए सभी सजालों का एक साथ पृष्ठचिन्ह (बुकमार्क) बना कर बाद में सभी को एक साथ खोल सकने की सुविधा। जैसे कि नीचे दी गई छवि के अनुसार अक्षरग्राम के पन्ने पर ही रहते हूए Bookmark -> Add Bookmark किया जाए तो आप को पहली वाली विंडो नजर आएगी। अब आप Bookmark all tabs को चुने व [Folder Name] की जगह “Hindi Blogs” लिख दें क्यूंकि हम एक ही सजाल की जगह बहुत सारे सजालों का पृष्ठचिन्ह बना रहे हैं। OK करने के बाद अब यदि आप Bookmarks मेन्यू पर जाएंगे तो पाएंगे की “Hindi Blogs” नाम का विकल्प भी वहां पर है।
इस पुस्तचिन्ह को चुन कर यदि आप Open All in Tabs को चुनते हैं तो तीनों सजाल एक साथ अलग अलग टैब में खुल जाएंगे। उदाहरण के लिए नीचे की छवि देखिए।
यह एक बड़ी उपयोगी तकनीक है। फर्ज कीजिए की आप हर सुबह पाँच समाचार पत्रों के सजालों पर जाते हैं। सभी को सजालों को हर बार अलग अलग खोलने की बजाए आप पहले सभी को अलग अलग टैब में खोल लें, फिर उपर दी गई जानकारी के साथ सभी का पृष्ठचिन्ह बनाईए। इसके बाद हर सुबह आकर Open All in Tabs करिए। जब तक आप पहला सजाल पढ़कर हटेंगे, बाकी चार भी डाउनलोड होकर आपकी सेवा में उपस्थित होंगे। समय की भी बचत। है न मजेदार।
अगले अंक में कड़ियाँ गरमागरम तकनीक व फायरफॉक्स की छुपी हूई सबसे शक्तिशाली जुगत।
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