र्डप्रेस ने बहुत अल्प समय में ही मूवेबल टाईप के विकल्प के रूप में प्रसिद्धि हासिल की है। निरंतर का यह विशेषांक इसी ब्लॉगिंग तंत्र पर केंद्रित है तो कुछ बात तो होगी इस में। जब वर्डप्रेस पर अपना ब्लॉग बनाने या स्थानांतरित करने की बात हो तो अक्सर लोगों का यही सवाल होता है, “जनाब! मेरा चिट्ठा तो अच्छा खासा ब्लॉगर पर चल रहा है। हम भला क्यों वर्डप्रेस अपनाऊँ?” यह आपत्ति एकदम उचित है, और हम यहाँ कोई धर्म-परिवर्तन का पाठ नहीं पढ़ाने जा रहे। यहाँ तो हम आप को वर्डप्रेस क्या है, यह बतायेंगे, साथ ही करेंगे इस की ब्लॉगर जैसे यन्त्रों से तुलना, विवेचना करेंगे वर्डप्रेस के फायदे – नुकसान के बारे में और विस्तार से जानेंगे कि वर्डप्रेस का प्रयोग कैसे करना चाहिये।
वर्डप्रेस क्यों?
यह जानने कि लिये आइए पहले हिन्दी चिट्ठा जगत के कुछ आँकड़ों पर दृष्टिपात करें। इस पंक्तियों के लिख जाते समय हिन्दी चिट्ठा जगत में पचपन से अधिक हिन्दी चिट्ठे हैं और केवल पाँच-सात को छोड़ कर शेष सभी ब्लॉगर की मुफ़्त मेहमान नवाज़ी का फायदा उठा रहे हैं, यानी उन को इस जालस्थल पर निःशुल्क होस्टिंग की सुविधा मिली है। बाक़ी पाँच–सात चिट्ठे चिट्ठाकारों के अपने अपने जालस्थान पर हैं और वे सभी वर्डप्रेस का ही प्रयोग करते हैं। यह दीगर बात है कि वर्डप्रेस वाले चिट्ठाकारों ने भी शुरुआत ब्लॉगर से ही की थी। मोटे तौर पर यही बात अँग्रेज़ी चिट्ठा जगत के बारे में भी कही जा सकती है, अन्तर केवल इतना है कि वहाँ चिट्ठों की संख्या भी बहुत अधिक है, और चिट्ठा-यन्त्रों की संख्या भी।
इन आँकडों से संभवतः आपको यह अंदाज़ा लग गया होगा कि ब्लॉगर चिट्ठा बनाने का सब से सरल और लोकप्रिय तरीका है। और, ब्लॉगिंग की दुनिया में आने पर हम सब का पहला ठिकाना अक्सर ब्लॉगर ही होता है। अब प्रश्न यह बनता है कि यदि ब्लॉगर से सारा काम हो रहा है, फिर यह वर्डप्रेस वाले किस बात की रट लगाए हुए हैं? आइए पता लगाते हैं।
ऐसा नहीं कि यही दो यन्त्र हैं चिट्ठाकारी के। यदि आप के पास अपना जालस्थान यानि वेबस्पेस नहीं है तो आप को चुनना पड़ेगा कोई वेब-आधारित यन्त्र, जिन के जालस्थल पर जा कर रजिस्टर करना होता हैं और फिर ब्लॉग बनाया जा सकता है। इनमें से ब्लॉगर, याहू-३६० डिग्रीज़, रेडिफ ब्लॉग, लाईव जर्नल, इंडियाटाईम्स ब्लॉग्स, एम.एस.एन स्पेसेस, ब्लॉग ड्राईव, जे रोलर आदि मुफ्त सुविधायें हैं। टाइप पैड और ज़ांगा जैसे कुछ सब्सक्रिप्शन आधारित ब्लॉग तंत्र भी हैं जहाँ ब्लॉग बनाने के लिये फीस देनी पड़ती है। यदि आप के पास अपना जालस्थान (वेबस्पेस) है तो आप के विकल्प बढ़ जाते हैं, जैसे वर्डप्रेस, मूवेबल टाइप, पेबल, आदि। ये आप को अपने सर्वर पर स्थापित करने पड़ते हैं और फिर आप को अपनी साइट से ही प्रबन्धित करने पड़ते हैं।
वर्डप्रेस क्या है?
वर्डप्रेस पी.एच.पी और माई एस.क्यू.एल प्रोग्रामिंग भाषाओं पर आधारित एक ब्लॉग तंत्रांश है, और b2/cafelog का उत्तराधिकारी है। वर्डप्रेस की स्थापन फाईल आप को वर्डप्रेस के जालस्थल से डाउनलोड कर अपनी साइट पर इन्सटॉल करना पड़ता है। यह चलने में काफी तेज़ है और स्थापित करने में और सीखने में आसान। मुक्त सूत्री (ओपन सोर्स) होने के कारण निजी और व्यावसायिक प्रयोग, दोनों के लिए पूर्णतः निःशुल्क भी है। हज़ारों विकास-कर्ताओं और प्रयोक्ताओं ने वर्ष 2001 से लगातार मेहनत कर के इसे बनाया है, और अभी भी इसे विकसित कर रहे हैं और बेहतर बना रहे हैं। इसमें आप-हम जैसे प्रयोक्ता भी योगदान देते हैं। हाल ही में कुछ हिन्दी प्रयोक्ताओं ने वर्डप्रेस का हिन्दीकरण पूरा किया। मुक्त सूत्री होने का यह भी लाभ है कि कोई भी इसे बेहतर बना सकता है, इस में थीम (अभिकल्पों) और प्लग-इन के माध्यम से नई क्षमताएँ जोड़ सकता है।
वर्डप्रेस में किसी भी उन्नत ब्लॉग यन्त्र की सभी सुविधाएँ मौजूद है (जैसे कि टिप्पणी मध्यस्थता, ट्रैकबैक, पिंगबैक, क्षमल फीड, ब्लॉग रोल, आदि) और कई मामलों में अन्य यन्त्रों से बेहतर है। अपनी प्रविष्टियों से बाहर आप पृष्ठ भी बना सकते हैं, जो आप के ब्लॉग के खाके पर ही आधारित होंगे। अपने पृष्ठों और प्रविष्टियों के लिए आप मनचाहे, सरल URL चुन सकते हैं।
वर्डप्रेस जब शुरू हुआ तो इस में खाकों और अभिकल्पों की कमी थी। फिर कुब्रिक, मांजी जैसे अभिकल्प आए। और अब तो जैसे अभिकल्पों की बाढ़ सी आ गई है। हाल ही में ऍलेक्स किंग ने अपने चिट्ठे पर वर्डप्रेस अभिकल्प प्रतियोगिता का आयोजन किया, और देखते देखते नए डिज़ाइन बनाने की होड़ लग गई। प्रतियोगिता समाप्त होते होते 135 नई थीमें वर्डप्रेस में जुड़ गईं। अभी थीम प्रतियोगिता के अंगारे ठंडे भी नहीं हुए थे कि मार्क घोष ने प्लग-इन और मॉड (सुधार) प्रतियोगिता की घोषणा कर दी। वर्डप्रेस की तो जैसे चांदी ही हो गई।
अन्य यन्त्रों से वर्डप्रेस की तुलना
आइए अब तुलना कर के देखें कि ब्लॉग यन्त्रों का कथित राजा वर्डप्रेस वेब-आधारित मुफ्त ब्लॉग यन्त्रों के शहंशाह ब्लॉगर के सामने टिक पाता है कि नहीं।
अच्छाइयाँ
- ब्लॉगर की तुलना में वर्डप्रेस से आप को अपने ब्लॉग पर अधिक नियन्त्रण मिलता है।
- वर्डप्रेस प्रयोग करेंगे तो आप को अपने चिट्ठे पर विज्ञापन या बैनर डालना है कि नहीं, यह आप पर निर्भर करता है। ब्लॉगस्पाट यूँ तो मुफ्त है, पर आपके चिट्ठे के ऊपर अपना पट्टा डाल देता है (पहले यह पट्टा विज्ञापन बैनर हुआ करता था)।
- वर्डप्रेस का ऑनलाइन ऍडिटर काफी सरल है। कोई भी नई प्रविष्टि लिखने, या कोई भी सेटिंग बदलने के बाद आप को अपना ब्लॉग पुनर्प्रकाशित (republish) नहीं करना पड़ता। नई प्रविष्टि या कोई भी परिवर्तन संचित करते ही सक्रिय हो जाते हैं। यदि आप के चिट्ठे में कई प्रविष्टियाँ हैं, और आप का इंटरनेट कनेक्शन तेज़ नहीं है तो इस गुण से बहुत अन्तर पड़ सकता है।
- अन्य सर्वर-आधारित सॉफ्टवेयरों की अपेक्षा वर्डप्रेस सर्वर पर कम जगह घेरता है।
- आप अपनी प्रविष्टियों को श्रेणियों में विभक्त कर सकते हैं, जिससे खोज में आसानी होती है। श्रेणियों बहुस्तरीय भी हो सकती हैं, यानी श्रेणी के नीचे उपश्रेणी। इस से आप अपनी प्रविष्टियों को बेहतर तरीक़े से व्यवस्थित कर सकते हैं।
- वर्डप्रेस का अभिकल्प माड्यूलर है, यानी आप विभिन्न भागों को सरलता से जोड़-घटा सकते हैं। जैसे आप कैलेण्डर, लेखक सूचना, आदि को मन मुताबिक रख सकते हैं या हटा सकते हैं। विभिन्न वैकल्पिक अभिकल्पों या प्लग-इन को चुटकी में सक्रिय या निष्क्रिय कर सकते हैं।
- अब हिन्दी में उपलब्ध होने के कारण आप को खाके के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ नहीं करनी पड़ेगी, जो ब्लॉगर के हिंदीकरण के लिये करनी पड़ती है।
- वर्डप्रेस में तेज़ी से सुधार हो रहे हैं। यही लेख यदि हम दो तीन महीने पहले लिख रहे होते तो शायद बुराइयों की सूची थोड़ी सी और लम्बी होती। हाल में ही हुए बदलाओं से टिप्पणियों के स्पैम की बीमारी काफी हद तक नियन्त्रण में आ गई है। अभिकल्पों की जो कमी थी वह भी समाप्त हो गई है। मुक्त सूत्री होने के कारण आप भी कुछ जोड़ना-घटाना या बदलना चाहें तो संभव है ही।
बुराइयाँ
- सब से पहली और ज़रूरी बात, यदि आप के पास अपना जालस्थान (वेबस्पेस) नहीं है तो वर्डप्रेस आप के किसी काम का नहीं। इसको चलाने के लिए अपने सर्वर की आवश्यकता है, जिस में माई एस.क्यू.एल और पी.एच.पी की सुविधा होना ज़रूरी है।
- वर्डप्रेस प्रयोग करने के लिए आप को ब्लॉगर के मुकाबले कुछ अधिक तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता है। शुरू में माई एस.क्यू.एल डाटाबेस बनाना पड़ता है (जो जितना ड़रावना लगता है, उतना है नहीं)। साथ ही जालस्थल बनाने वाली मूल बातों का ज्ञान होना चाहिए, जैसे FTP, HTML, आदि। पी.एच.पी का ज्ञान हो तो सोने पे सुहागा।
वर्डप्रेस कहाँ से लें, कैसे स्थापित करें?
यदि आप ने निश्चय कर लिया है अपना ब्लॉग बसेरा वर्डप्रेस पर ही बसाने का, तो निश्चित ही आप ने एक वेब-होस्ट चुन लिया होगा, अपना डोमेन रजिस्टर कर लिया होगा और आप के पास फाइलें अपने सर्वर पर ऍफटीपी द्वारा चढ़ाने की सुविधा भी होगी। वेबहोस्ट चुनते समय यह निश्चित कर लें कि पी.एच.पी (4.1 या बाद का वर्जन) और माइसीक्वेल (3.23.23 या बाद का वर्जन) की उस पर सुविधा प्राप्त है। यदि नहीं है तो वैसे भी ऐसे गए गुज़रे होस्ट को अलविदा कहने का समय है।
- कदम 1 : माइसीक्वेल डाटाबेस का निर्माण
सब से पहले अपने सर्वर पर एक माइसीक्वेल डाटाबेस बनाएँ। उसमें अपने नाम से एक प्रयोक्ता नाम और कूटशब्द बनाएँ। (अक्सर आपके सर्वर के कंट्रोल पेनल में यह सुविधा मिलती है, अन्यथा अपनी होस्ट कंपनी से पूछें।) - कदम 2 : वर्डप्रेस का डाउनलोड
वर्डप्रेस का नवीनतम संस्करण (इन पंक्तियों के लिखे जाते समय, 1.5.1) यहाँ से डाउनलोड करें, और अपने कंप्यूटर पर किसी मनचाहे फोल्डर में अनज़िप कर दें। - कदम 3: फाइलों को बदलना
अनज़िप की गई फाइलों में wp-config-sample.php को नोटपैड या अन्य किसी टेक्स्ट-ऍडिटर में खोल कर पहले कदम में बनाया प्रयोक्ता नाम और कूटशब्द भरें, और पंक्ति define (‘WPLANG’, ‘ ‘); को define (‘WPLANG’, ‘HI’); में बदलें। यह वर्डप्रेस को बताएगा कि आप इसे हिन्दी में प्रयोग करना चाहते हैं। अब इस फाइल को wp-config.php नाम से संचित करें। वर्डप्रेस हिन्दी में काम करे, इस के लिए आप को एक और फाइल की ज़रूरत है, वह है “hi.mo”। इस फाइल को यहाँ से डाउनलोड करें और इसे “/wp-includes/languages” नाम के फोल्डर में डाल दें। - कदम 4 : अपलोड
अब सारी फाइलों को अपने सर्वर पर चढ़ा दें। यदि आप के जालस्थल का पता http://www.xyz.com है और आप अपने ब्लॉग का पता http://www.xyz.com/myblog रखना चाहते हैं, तो सारी फाइलों को अपने सर्वर पर /myblog फोल्डर में चढ़ा दें। - कदम 5 : समाप्त, अर्थात् शुभारम्भ
अपने ब्राउज़र में http://www.xyz.com/blog/wp-admin/install.php पर जाएँ, वहाँ आप को नया admin कूटशब्द मिलेगा जिसे आप बाद में बदल सकते हैं। बस आप का वर्डप्रेस ब्लॉग यन्त्र तैयार है। आगे का रास्ता आप को स्वयं मिल जाएगा। अपनी कल्पनाओं के घोड़े दौड़ाइए और लिखना शुरू कीजिए।
लेख के दूसरे भाग में हम आप को बताएँगे कि आप ब्लॉगर या किसी और ब्लॉग यन्त्र से बनाई प्रविष्टियाँ वर्डप्रेस में कैसे आयातित कर सकते हैं। इस के इलावा बात करेंगे थीम परिवर्तन की, प्लग-इन इन्सटॉल करने की और कार्यान्वित करने की।
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