एक बार सुक्खी ने अपनी गर्लफ्रेन्ड से कहा, रात को मेरे बिठूर वाले फार्महाउस पर आ जाना, वहाँ कोई नही होगा। गर्लफ्रेन्ड ने सोचा चलो अच्छी डेट है। वो वहाँ पहुँची और सचमुच वहाँ कोई नही था। सुक्खी भी नही।
हम लोग भारत की बढती आबादी पर एक जगह लेक्चर सुनने गये थे, सुक्खी को भी हमने साथ ले लिये, एक वक्ता बढती जनसंख्या पर भाषण दे रहा था,
“भारत में हर दस सेकन्ड एक औरत एक बच्चे को जन्म देती है”
अचानक सुक्खी ने चिल्ला कर बीच मे टोका “हमें इस औरत को ढूँढकर उसे ऐसा करने से रोकना चाहिये”
सुक्खी ने परिवार नियोजन में कभी विश्वास नही किया, अब करे भी क्यों बाकी कोई काम भी तो नही था बेचारे के पास, चलिये सुनिये
सुक्खी को जुड़वाँ बच्चे हुए, नाम रखा “टिन” और “मार्टिन”
फिर जुड़वां बच्चे हुए, इस बार नाम रखे “पीटर” और “रिपीटर”
फिर हुए, इस बार नाम रखे “मैक्स” और “क्लाइमैक्स”
फिर जुड़वां हुए, इस बार नाम रखे “टायर्ड” और “रिटायर्ड”
आजकल सुक्खी तो बस अपने प्राइम मिनिस्टर मनमोहन सिंह के ही राग अलापता रहता है, हम लोगों ने एक दिन सुक्खी को छेड़ते हुए पूछा,
“सुक्खी भाई! ये बता कि अपने मनमोहन सिंह जी शाम को ही क्यों टहलने जाते हैं, सुबह क्यों नही?”
सुक्खी दाढ़ी खुजाते हुए बोला
“सिम्पिल है यार! अपने मनमोहन पी.एम हैं, ए.एम थोड़े ही हैं।”
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