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बुलबुले के घर?
क्या भारतीय प्रॉपर्टी बाज़ार की कीमतों में अव्यावाहारिक उछाल बाजार में मांग और पूर्ति के नियमों पर आधारित है, या फिर एक फूलते बुलबुले का हिस्सा है जो जब भी फटे तबाही ही बरपा करेगा? आमुख कथा में जगदीश भाटिया और देबाशीष चक्रवर्ती के खोजी आलेख को पढ़िये और निर्णय लीजिये।
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फ्यूज़न से संगीत अच्छा नहीं रह जाता
उस्ताद शाहिद परवेज़ ख़ान अपने सितार वादन के लिए भारत के उच्च शास्त्रीय संगीतकारों मेंे गिने जाते है। शाहिद परवेज़ इटावा घराने के हैं और प्रसिद्ध सितार वादक विलायत ख़ान के परिवार से हैं। दिसंबर 2006 में शाहिद इटली स्थित बोलोनिया में अपनी प्रस्तुति देने आये, डॉ सुनील दीपक ने इस मौके पर उनसे हुई विभिन्न विषयों पर बातचीत को प्रस्तुत किया है एक आलेख की शक्ल में। |
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मेरा दोस्त कादर
विगत दिनों सिटिज़न्स फॉर पीस तथा इंडियन एक्सप्रेस अखबार द्वारा आयोजित द्वितीय वार्षिक निबंध प्रतियोगिता २००६ में नई दिल्ली स्थित लेखक व स्तंभकार एन कुंजू के अंग्रेज़ी निबंध “माई फ्रेंड कादर” को अंग्रेज़ी श्रेणी में प्रथम पुरस्कार मिला। निबंध का विषय था “हम जैसे नहीं : नागरिकों की दुविधा” वातायन में पढ़िये इसी मार्मिक आलेख का आलोक कुमार द्वारा किया गया हिन्दी रूपांतर। |
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लाल परी – भाग 3
वातायन में आप पढ़ रहे हैं विश्व की पहली इंटरैक्टिव धारावाहिक कथा “लाल परी”। पिछले दो भागों में नाटकियता थी और अरू और केडी की मस्त चैट। इस भाग के लिये लेखिका प्रत्यक्षा ने इरादा बनाया कुछ अप्रत्याशितता लाने का। तो पढ़िये कहानी का तीसरा भाग और हमें ज़रूर बताईये कि इस कहानी का समापन किस तरह हो क्योंकि कहानी के अगले भाग में होगा इस रोचक कथा का पटाक्षेप। |
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बर्गन का वो पागलखाना
द साईंटिफ़िक इंडीयन ने हाल ही में विज्ञान फंतासी कथा लेखन प्रतियोगिता आयोजित की थी। इस में आदित्य सुदर्शन की लिखी कहानी द असाईलम एट बर्गन को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। मनोचिकित्सा के वैज्ञानिक कैनवस पर रोमांच की तूलिका से उकेरी इस लोमहर्षक कथा का हिन्दी रूपांतरण किया है रमण कौल ने।
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दो बूँदें
पढ़ें डॉ॰ जगदीश व्योम द्वारा लिखित यह लघुकथा |
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हास्य व्यंग्य के किंग: समीर लाल
मार्च 2006 में इन्होंने हिन्दी चिट्ठाकारी की शुरुआत की और देखते ही देखते सबके मन को भा गये। कविता, कुंडलियाँ, त्रिवेणी और मुंडलिया, सबमें इनकी सहज गति है। सहज, मनलुभावन गद्य इनके लेखन का प्राणतत्व है। कच्चा चिट्ठा में इस बार बमार्फ़त अनूप शुक्ला भेंट कीजिये उड़नतश्तरी के लेखक समीरलाल से। |
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जापानी हायकू का उल्लेखनीय भावानुवाद
जापानी साहित्य की एक प्रमुख विधा हायकू तीन पंक्तियों में लिखी जाने वाली कविता है। कुल सत्रह अक्षरों में पूर्ण अर्थ संप्रेषित करना हायकू की कसौटी होती है। अनूप शुक्ला ने हाल ही में श्रीमती डा.अंजलि देवधर द्वारा किये मूल जापानी से अंग्रेजी में अनुदित 32 महत्वपूर्ण कवियों की 100 उत्कृष्ट हायकू कविताओं के हिंदी में उल्लेखनीय अनुवाद पढ़ा और काफी प्रभावित हुये। |
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वाह वाह रामजी!
समस्या पूर्ति निरंतर का ऐसा स्तंभ है जिसमें दिये हये चित्र और शीर्षक पर एक छोटी सी कविता लिखनी होती है। कविता ज्यादा बड़ी न हो तो अच्छा, चार लाईना हो तो उत्तम, हाइकू हो तो क्या कहनें! तो क्या आप तैयार हैं भाग लेने के लिये? |
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