Author: अनूप शुक्ला
मित्र तुम कितने भले हो!
चिट्ठा चर्चा में पढ़िये भारतीय ब्लॉगमंडल के खास चिट्ठों बीते माह के दौरान की चहल पहल का जायजा, अनूप शुक्ला की अपनी खास शैली में।
परिपक्व हो जायेंगे तब भोली भाली बातें करेंगे
आजकल के बच्चों मे बचपना क्यों नज़र नही आता? हिंदुस्तानी फिल्मों में इतने गाने क्यों होते हैं? नेताओं के स्वागत पोस्टर में नाम के आगे “मा.” क्यों लिखा रहता है? भूख क्यों लगती है? सारे जवाब यहाँ दिये जायेंगे, फुरसत से। ससूरा गूगलवा भला अब किस काम का, पूछिये फुरसतिया से!
बांगड़ू कोलाज और चाबुक की छाया
निरंतर में चिट्ठा चर्चा का यह दूसरा अंक है। चिट्ठा चर्चा में पढ़िये भारतीय ब्लॉगमंडल के खास चिट्ठों बीते माह के दौरान की चहल पहल का जायजा, अनूप शुक्ला की अपनी खास शैली में।
आई.आई.टी से देश का कोई फायदा नहीं
दुनिया के जिस किसी भी मंच पर महात्मा गांधी की बात होती तो उनकी जीवनी "पहला गिरमिटिया" की बात जरूर होती है। पढ़िये "पहला गिरमिटिया" के रचयिता, साहित्यकार, गिरिराज किशोर से अनूप शुक्ला की बातचीत।
आस्था की तुष्टि से संतोष मिलता है
रात के बाद सबेरा होता है या सबेरे के पहले रात? आजकल हसीनों में शर्मोहया क्यों नहीं है? पूजा के समय भगवान को प्रसाद व भोग चढ़ाया जाता है, यह जानते हुये भी कि अंतत: खाना इन्सान को ही है। आखिर क्यों? ऐसे ही टेड़े सवालों के मेड़े जवाब दे रहे हैं हाजिर जवाब फुरसतिया!