Author: निरंतर पत्रिका दल
पत्र : वहशीपन से देश महान नहीं बनता
गुजरात सरकार ने हिंदुओं को एकबार शर्मसार किया है और शरारती तत्वों को सजा न देकर अगर वह दुबारा ऐसा करेगी तो दुनियाभर में अपने समर्थक खो देगी। हमारे महान देश का नेतृत्व इतना रीढविहीन एवं अदूरदर्शी कैसे हो सकता है जो गुंडो को राजनैतिक परिदृश्य पर छाने की खुली छूट देता है। निरंतर संपादक मंडल को लिखे अपने खत में चिंता जता रहे है आर्केडिया विश्वविद्यालय, अमरिका में अंग्रेज़ी के प्राध्यापक डॉ प्रद्युम्न सिंह चौहान।
मैंने भी बोये कुछ सपने
एक चित्र जिस पर आप अपनी कल्पनाशीलता परख सकते हैं और जीत सकते हैं रेबेका ब्लड की पुस्तक "द वेबलॉग हैन्डबुक" की एक प्रति। भाग लीजिये समस्या पूर्ति प्रतियोगिता में।
वेबलॉग नीतिशास्त्र
सारांश में पेश करते हैं पुस्तकाँश या पुस्तक समीक्षा। निरंतर के पहले अंक में हमें प्रसन्नता है रेबेका ब्लड की पुस्तक "द वेबलॉग हैन्डबुक" के अंश का हिन्दी रूपांतर प्रस्तुत करते हुए। रेबेका 1996 से अंर्तजाल पर हैं, उनका ब्लॉग रेबेकाज़ पॉकेट खासा प्रसिद्ध है।
आस्कजीव्स ने निगला ब्लॉगलाईंस को
क्या याहू सिक्स आपार्ट को हथिया लेगा? क्या गूगल अब डोमेन भी बेचेगा? ये और ढेर सारी और खबरें। पढ़िए माह के दौरान घटित ब्लॉगजगत से संबंधित खबरें तड़के के साथ।
आज रात तीन चाँद खिले हैं!
वातायन है निरंतर का साहित्य प्रकोष्ठ यानि कि ब्लॉगजगत के बाशिंदो कि साहित्यिक प्रतिभा का झरोखा। इस अंक में प्रस्तुत है रविशंकर श्रीवास्तव की लघुकथा "प्रशिक्षु", अतुल अरोरा की हास्य कविता "तीन चाँद" और देबाशीष चक्रवर्ती की कविता "महानगर"।