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चंद्रचूदन गोपालकृष्णन उर्फ़ चन्द्रू भारतीय चिट्ठाकारों में अपने लेखन और सौम्यता के लिये जाने और पसंद किये जाते हैं। हास्य इनके लेखन का मूल तत्व होता है। लेखन, पठन, ब्लॉगिंग और पी.जी.वुडहाउस इनको बेहद पसंद हैं।
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गौरव का जन्म 7 जुलाई, 1986 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के 'जिवाना गुलियान' गाँव में हुआ। आरम्भिक शिक्षा-दीक्षा संगरिया (राजस्थान) में हुई। उसके बाद आईआईटी, रुड़की से बीटेक करने के बाद वे संप्रति गुड़गाँव में कार्यरत हैं। गौरव आईआईटी की साहित्यिक पत्रिका 'क्षितिज' के मुख्य संपादक रहे हैं। सिनेमा का जुनून है, कुछ करने की कोशिश जारी है। उनका हिन्दी चिट्ठा http://merasaman.blogspot.com पर है।
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हिन्दी चिट्ठा जगत के वासी यहीं के एक और बाशिंदे, हिंदी ब्लॉग वाले विनय जैन से जरूर वाक़िफ होंगे। देखा जाए तो यह हिन्दी का पहला समूह ब्लॉग है, विनय के अलावा आलोक भी इस चिट्ठे पर अपना योगदान देते हैं। विनय हिन्दी भाषा के अखंड उपासक हैं और लो प्रोफाईल रखने में यकीन रखते हैं।
विनय ने अक्टूबर 2002 में "हिंदी ब्लॉग" की शुरुआत की थी, उस समय हिन्दी चिट्ठाकारी के बारे में कम ही लोग जानते होंगे, विनय को याद है कि आलोक का ही पहला ऐसा चिट्ठा था जो पूर्णतः हिन्दी में लिखा जाता था। हालाँकि पहला हिन्दी चिट्ठा शायद विनय ने ही लिखा था पर नौ दो ग्यारह को ही वे हिन्दी का प्रथम सम्पूर्ण हिन्दी ब्लॉग मानते हैं। चिट्ठे के अलावा विनय गीतायन तथा मनबोल से भी संबद्ध हैं। गूगल के हिन्दी रूप के अनुवाद कार्य से भी विनय जुड़े रहे हैं।
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डॉ वीणा सिन्हा कॉलेज ऑफ कॉमर्स, मगध यूनिवर्सिटी, पटना में सोशियोलॉजी की अवकाशप्राप्त प्रोफेसर हैं। 60 के दशक में उनकी लिखी कहानियाँ सारिका, माया, मनोरमा (मनोरमा तब की, आज वाली नहीं) में प्रकाशित हुईं, फिर लिखना छूट सा गया। उन्हीं दिनों पटना रेडियो पर सुगम व अर्ध शास्त्रीय गायन के कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये। वीणा लोकप्रिय हिन्दी चिट्ठाकार प्रत्यक्षा की माँ हैं।
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