Month: June 2005
सईदन बी – भाग 1
जब बड़े इंसानों ने धर्म की परिकल्पना की होगी तो शायद पावन उद्देश्य रहा होगा, मेरा कुनबा, एक ख्याल लोग, मेरा समूह साथ रहे तो रोजी रोटी अच्छी कटेगी। फिर लोगों ने धर्म से प्यार हटा कर स्वार्थ जोड़ दिया और परिदृश्य बदल गया। सईदन की कथा पूर्णतः काल्पनिक है पर हो सकता है आप वो दर्द महसूस कर सकें जो लेखक ने किया।”
वर्डप्रेस: बेमोल, फिर भी अनमोल
मुक्त सोर्स परियोजनाओं में अनगिनत जाने पहचाने लोगों का पसीना होता है और बिना किसी लालच व पारिश्रमिक के बनाये गये इन उत्पादों का मोल विशालकाय कंपनियों के नामचीन उत्पादों से कहीं ज्यादा है क्योंकि इन उत्पादों के आसपास पनपते हैं समुदाय, जो स्थान, उम्र, धर्म, लिंग या भाषा से बंधे नहीं हैं। आखिर क्या वजह है कि लोग ऐसी परियोजनाओं में समय लगाते हैं? कैसा लगता है इनमें हिस्सेदारी करना? ये सवाल हमने किये वर्डप्रेस की लोकप्रिय मुक्त सोर्स थीम मांजी के जनक ख़ालेद अबु अल्फ़ा से।
ये मानव-अंडे क्या भाव हैं?
अमरीका में रोबोट ने बनाए अपने जुड़वाँ, राजाजी के भरे गाल, स्त्रियों या फिर समलैंगिक पुरुषों को आकर्षित करता रसायन और चीन की तरबूज़ कला। हुसैन ढूँढ कर लाए हैं इंटरनेट के कोने कोने से गरम गरम कड़ियाँ।
तूतू मैंमैं
लिखो कविता, जीतो इनाम! एक चित्र जिस पर आप अपनी कल्पनाशीलता परख सकते हैं और जीत सकते हैं रेबेका ब्लड की पुस्तक “द वेबलॉग हैन्डबुक” की एक प्रति। भाग लीजिये समस्या पूर्ति प्रतियोगिता में।
वर्डप्रेस किसी महानगरीय संस्कृति जैसी है
क्या बातें होती हैं जब वर्डप्रेस समुदाय के मुताल्लिक अंतर्जाल पर सेंकड़ों बार मिले दो भारतीय पहली दफ़ा एक दूसरे से व्यक्तिगत रूप से रूबरू होते हैं। मार्क घोष और कार्थिक शर्मा जब लास वेगस में मिले तो इस मुलाकात में वर्डप्रेस के दोनों सिपाहियों ने इस ब्लॉगिंग तंत्रांश के समुदाय से जुड़ने और इस के साथ बिताये दिनों की यादें ताज़ा की।