प अभी क्या कर रहे हैं? ये बड़ा ही सीधा सवाल है जिसका जवाब देना भी बेहद आसान होता है। अंतरजाल पर दुनिया के हजारों लोग इसी सवाल का जवाब देते अघाते नही और ट्विटर की दुनिया में उनके इस सवाल का इंतज़ार कभी दस तो कभी हजारों फॉलोवर्स को रहता है। इससे पहले कि आप ट्विटर को कोई धार्मिक संप्रदाय समझ बैठें जिसके अनुयायी भेद भरे संदेश साझा करते हैं, हम आपको इसका राज़ बता ही देते हैं।
क्या है माइक्रोब्लॉगिंग?
माइक्रोब्लॉगिंग (Microblogging) पारंपरिक ब्लॉगिंग का एक अलाहदा रूप है जिसमें संक्षिप्त टेक्स्ट संदेश भेजे जा सकते हैं। संदेश की सीमा अक्सर 140 अक्षरों की होती है जिसे आप अपने मोबाईल फ़ोन, इंस्टैंट मैसेंजर, ईमेल या जालघर द्वारा भेज सकते हैं। 2006 में प्रारंभ, ट्विटर सर्वाधिक प्रसिद्ध माइक्रोब्लॉगिंग सेवा है, अगला नंबर गूगल द्वारा अधिग्रहित जायकू का है।
ज्यों ज्यों माइक्रोब्लॉगिंग की लोकप्रियता में इज़ाफ़ा हो रहा है इसके अति साधारण रूप में नये नग जोड़े जाने की कवायद चल रही है। डिग के संस्थापक केविन रोज़ द्वारा स्थापित पाउंस में फाइल शेयरिंग व कार्यक्रम न्यौते भेजने कि सुविधा जोड़ी गई तो हाल ही में शुरु किये गई प्लर्क के जालघर में अंतरापृष्ठ को एक टाईम लाईन का स्वरूप दे कर विडियो व अन्य मीडिया जोड़ने की सुविधा दी गई है।
माइक्रोब्लॉगिंग का जादू इस कदर सर चढ़कर बोल रहा है कि फ़ेसबुक से लेकर लिंक्ड-इन तक को, स्टेटस अपडेट के बहाने ही सही, माइक्रोब्लॉगिंग की सुविधा मुहैया करानी पड़ी है। तो यह बिलावजह नहीं है कि माइक्रोब्लॉगिंग नामचीन शख्सियतों को भी लुभा रही है तभी तो ब्लॉगअड्डा ने अमिताभ बच्चन के बलॉग के बाद खास उनके लिये माइक्रोब्लॉगिंग की सुविधा भी शुरु की है। बीबीसी व अलज़जीरा जैसे नामचीन समाचार संस्थानों स लेकर अमरीका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बराक ओबामा तक ट्विटर पर हैं।
ट्विटर एक अलग किस्म की इंस्टैंट मैसेजिंग सेवा है, कई इसे माइक्रोब्लॉगिंग (देखें बॉक्सः क्या है माइक्रोब्लॉगिंग?) कहकर पुकारते हैं। फर्क़ यह है कि आप ट्विटर पर केवल 140 या उससे कम अक्षरों में ही संदेश भेज सकते हैं जो आपके फॉलोवर्स (ट्विटर की ज़बान में आपके संदेश पाने की हामी भरने वाले को फॉलोवर कहा जाता है) को तुरंत मिल जाता है। इसी तरह आप भी अपनी पसंद के लोगों को फॉलो कर सकते हैं। और इस तरह बन जाता है एक बढ़िया सामाजिक तंत्र या सोशियल नेटवर्क जिसकी बात आजकल हर वेंचर कैपिटलिस्ट किया करता है। मज़े की बात यह है कि ट्विटर सेवा मोबाईल पर भी चलती है यानी आप अपने सेल फोन द्वारा भी संदेश भेज व प्राप्त कर सकते हैं।
ट्विटर के अलावा अन्य माइक्रोब्लॉगिंग सेवायें भी आहिस्ता आहिस्ता अपनी पैठ बना रही हैं। विपणन व सोशियल मीडिया में रुचि रखने वाले गौरव मिश्रा, जो गौरवानॉमिक्स नामक चिट्ठा लिखते हैं, ट्विटर के अलावा जायकू, पाउंस, प्लर्क, क्युपि, चित्र व एसएमएस गपशप जैसी सेवायें आजमा चुके हैं। ट्विटर के प्रयोक्ता इसे विविध माध्यमों से भी इस्तेमाल करते हैं, कई लोग अपने मोबाईल द्वारा भारत के शॉर्टकोड 5566511 पर संदेश भेजते हैं तो कई टीव्हिर्ल (Twhirl) या ट्विटरफॉक्स (TwitterFox) जैसे डेस्कटॉप क्लायंट या ब्राउज़र एक्सटेंशन का प्रयोग करते हैं।
140 अक्षरों की सीमा ट्विटर पर अनचाही बातों और बड़बोलेपन पर बाँध तो लगाती ही है, साथ ही न्यूनतम शब्दों में वही बात कहने का हुनर भी सिखा देती है जो आप अपने ब्लॉग पर 1000 शब्द खर्च करे बिना कह नहीं पाते। और यकीन मानिये 140 अक्षर कम नहीं होते क्योंकि ट्विटर पर अक्सर लोग बेतकल्लुफ और निजी बातें लिखते हैं। कई बार ये बातें रिमाईंडर, निजी नोट, त्वरित विचार या आवश्यक खबर होती है। किसी व्यक्ति को फॉलो करते करते आपको उसकी शख्सियत का इल्म होने लगता है, मसलन उसे कैसी फिल्में पसंद है, वो क्या पढ़ता है, कहाँ खाना खाता है, उसके आफिस में क्या चल रहा है, वगैरह। पर ट्विटर पर लोग इतनी निजी बातें क्यों करने लगते हैं जो वो साधारणतः अपने ब्लॉग पर नहीं करते। बी 5 मीडिया व इंक्यूज़िटर के संस्थापक डंकन रियली “नेटवर्क व त्वरित वार्तालाप” को इसकी वजह मानते हैं, “ट्वीट काफी सीमित पाठकवर्ग पर केंद्रित होते हैं और इनका छोटा आकार इनका प्रारूप निजी बना देता है”, वे कहते हैं। गौरव कहते हैं, “माइक्रोब्लॉगिंग ने ब्लॉगिंग के साथ वही किया जो एक समय ब्लॉगिंग ने पारंपरिक प्रकाशन के साथ किया था। माइक्रोब्लॉगिंग के एसएमएस और चैट से साम्य ने इसे अनौपचारिक कलेवर दे दिया है”
ट्विटर पर अधिकांश लोग पहले चिट्ठाकारी से जुड़े फिर इस माध्यम से। प्रकाशन की सरलता ने लाखों लोगों को अपने ब्लॉग पर जो चाहे वो लिखना सिखाया। पर लंबे गद्य लेखन से कई ब्लॉगर उकता जाते हैं। ब्लॉग का प्रारूप अमूमन ऐसा होता है कि कम शब्दों में लिखना श्रेष्ठ नही होता। वर्डप्रेस की असाईड्स और टंबल ब्लॉग जैसे माध्यमों ने यहाँ निजात ज़रूर दी, जहाँ एक लाईना पोस्ट लिखना संभव था, टेबल ब्लॉग पर तो आप केवल एक विडियो या चित्र भी पोस्ट कर सकते थे, बिना एक भी शब्द लिखे। पर तात्कालिकता ने ट्विटर को मकबूलियत दिला दी। कहना न होगा कि कई दफा किसी बात को तुरंत कहना ज़्यादा जरुरी होता है और ट्विटर ने इसी जरुरत को पूरा किया।
नया रूप, नई बातें
माइक्रोब्लॉगिंग के पदार्पण और ट्विटर की मकबूलियत से कुछ नये शब्दों का सृजन भी हुआ है, नोश फ़रमायें
- ट्वीटः माइक्रोब्लॉग प्रविष्टि
- ट्विटररः ट्विटर प्रयोक्ता
- ट्विटोस्फ़ीयरः ट्विटर संसार
- मिसट्वीटः ऐसी माइक्रोब्लॉग प्रविष्टि जिस पर आपको खेद हो। ट्विटर पोस्ट हटाने की सुविधा तो देता है पर संपादित करने या वापस लेने की नहीं।
ऐसे और भी शब्दों के बारे में जानिये इस विकीपृष्ठ पर।
ट्विटर मैशअप
जाल पर ट्विटर जैसी तो सेंकड़ों सेवायें हैं पर इसके जैसा नाम किसी का नही है। ट्विटर से जुड़े निम्नलिखित मैशअप खासे लोकप्रिय हैं
- ट्विटरविज़नः यह विश्व के नक्शे के द्वारा ट्विटर पर विभिन्न जगहों से भेजे जा रहे संदेशों के बारे में बताता है।
- ट्विटरहॉलिकः 100 सवार्धिक फॉलोवर्स वाले प्रयोक्ताओं की पायदान।
- सम्माईज़ः ट्विटर का खोज इंजन, जुलाई 2008 में इस सेवा को ट्विटर ने खरीद लिया है।
- ट्विटेरिफिक , ट्विटरफॉक्स जैसे अनेक तंत्रांश व ब्राउज़र एक्सटेंशन आपको ट्विटर पर संदेश अपने कंप्यूटर से भेजने की सुविधा देते हैं।
ऐसे और भी मैशअप के बारे में जानिये इस विकीपृष्ठ पर।
ट्विटर के आने के बाद से कई अनियमित चिट्ठाकार तो खुश हुये ही, अनेक नियमित लेखकों ने भी अपने ब्लॉग लेखन में कमी की बात स्वीकारी है। अपने ब्लॉग पर लंबी उबाउ पोस्ट लिखने से ट्विटर पर नन्हा सा अपडेट देना कई लोगों को भाने लगा है। शायद इसकी वजह है ट्विटर पर अपना संदेश छोड़ना बेहद आसान है और इसमें समय बेहद कम लगता। इन संदेशों को प्राप्त करने वाले तुरंत लेखक को उसके प्रयोक्ता नाम के सामने खास @ चिन्ह लगाकर अपना जवाब भी दे सकते हैं। डंकन इस बात से सहमत हैं कि अनके निजी ब्लॉग पर लेखन कम हुआ है पर अपने मुख्य ब्लॉग पर उन्हें ट्विटर की बदौलत ज्यादा लिखने का मौका मिला है। ट्विटर को मुख्यतः ब्रेकिंग न्यूज़ या रोचक बातें तुरंत बताने के लिये प्रयोग करते हैं और यही खबरें बाद में उनके ब्लॉग पर विस्तार से लिखने का मसाला बन जाती हैं।
हालांकि ट्विटर पर सब अच्छा ही है ऐसी बात तो नहीं है। खास तौर पर हालिया महीनों में जब ये सेवा अनिश्चित रूप से कई बार बंद पड़ गई और जब कभी पुनः शुरु की जाती तो अनेक फीचर्स बंद कर दिये जाते। यह अंदेशा गलत न होगा कि ट्विटर की खटारा हालत का फ़ायदा हाल ही में प्रारंभ एक अन्य माइक्रोब्लॉगिंग सेवा प्लर्क को मिला है। डंकन यह बात मानते हैं कि लोगों ने अन्य सेवाओं का रुख किया है। “पर तकनीकी दिमाग वाले लोगों को प्लर्क उतना पसंद नहीं आ रहा। फ्रेंडफीड की बढ़त जारी है और हर रोज़ इससे नये लोग जुड़ते जा रहे हैं”, डंकन कहते हैं।
बात सिर्फ माइक्रोब्लॉगिंग की ही की जाय तो ढेर सारे लोगों को फॉलो करने वाले प्रयोक्ताओं को संदेशों की बाढ़ से निबटना सीखना होता है। कुछ प्रयोक्ता ऐसे भी होते हैं जो पचासों बार अपने बारे में संदेश भेजते हैं और सारी बातें व्यक्तिगत ही हों तो असंबद्ध व्यक्ति के लिये यह सरदर्दी का सबब भी बन सकते हैं।
ट्विटर पर अपने बारे में बताने की उत्कंठा भी कई बार हदें पार कर जाती हैं। देखा जाय तो तो ब्लॉगिंग करने वालों का इस इच्छा से पहले भी नाता पड़ चुका होता है। समय पर ट्वीट न करने पर फॉलोवर्स की संख्या कम होने का अंदेशा रहता है, संदेश भेजते समय भी सोचना होता है कि क्या यह संदेश साझा करने लायक है या नहीं। जैसे जैसे आपके फॉलोवर्स की संख्या बढ़ती जाती है यह मानसिक दबाव भी बढ़ता चला जाता है।
तो ट्विटर पारंपरिक चिट्ठाकारी से कितना अलग है? गौरव मानते हैं कि माइक्रोब्लॉगिंग काफी अलग विधा है, “माइक्रोब्लॉगिंग और ब्लॉगिंग दोनों साथ जी सकते हैं। मैंने वर्डप्रेस के माइक्रोब्लॉगिंग आधारित प्रोलोग थीम के इस्तेमाल के बाद यह पाया कि ट्विटर महज़ एक अलहदा इंटरफेस वाली सेवा नहीं है।”। वाकई यह तुलना गैरवाजिब है। पारंपरिक ब्लॉगिंग का अपनी आकर्षण और पाठक वर्ग है, आखिरकार दुनिया में ऐसी सेंकड़ों बातें हैं जो 140 अक्षरों में समेटी नहीं जा सकती। किसी भी सर्जनात्मक विधा की ही तरह पारंपरिक निबंधात्मक ब्लॉगिंग का अंत होना असंभव ही है। मसलन, किसी ट्विटरर को उसके माइक्रोब्लॉग के आधार पर पुस्तक लिखने का प्रस्ताव मिले इस बात के आसार कम ही हैं।
ट्विटर की बेतकल्लुफ बातचीत के माध्यम के रूप में एक अलहदा जगह बन ही गई है, बातें जो हम दफ्तर में कॉफी मशीन के पास या नुकक्ड़ पर यार दोस्तों के साथ करते हैं। ट्विटर की सादगी उसकी पहचान है और इसने आनलाईन संपर्क के एक नये और खास माध्यम के रूप में अपनी जगह बना ली है।
छपते छपते: इस लेख को अंतिम रूप देते समय (बमार्फत ओम मलिक) खबर पक्की हुई है कि ट्विटर ने अपनी ही पर आधारित खोज ईंजन सम्माईज़ को खरीद लिया है। सौदे की कीमत 80 लाख डॉलर से अधिक आँकी जा रही है।
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