Category: वातायन
लाल परी – भाग 2
वातायन में आप पढ़ रहे हैं विश्व की पहली इंटरैक्टिव धारावाहिक कथा "लाल परी"। पहला भाग पढ़ कर पाठकों की आम राय थी कि केडी और अरु की चैट कुछ और चले और नाटकियता कुछ और जुड़े। हम तो हुकुम के गुलाम हैं, लेखिका प्रत्यक्षा कहती हैं, और चटपट अगला भाग जनता की डिमांड पर लिख दिया। पढ़ें कथा का दूसरा भाग पढ़ें और तय करें कहानी का अगला भाग कैसा हो।
ऐ इंसानों, ओस न चाटो!
15 अगस्त को स्वाधीनता दिवस है और यह हमारे देश की स्वतंत्रता का हीरक जयंती वर्ष है। इसी अवसर पर पढ़िये मुक्तिबोध की कविता "ऐ इंसानों, ओस न चाटो!" और सोनी रत्ना की कविता "सीखो बेखौफ़ साँसों का कर्ज़ चुकाना"।
बनाईये करियर, संगठन व जीवन विशिष्ट
"द बिग मू" उपदेशों से भरी किताबों से काफी अलग है जो जीवन में खतरे उठाने और अपने आलोचकों पर ध्यान न देने की हिम्मत देगी, जो केवल किसी व्यक्ति के लिये नहीं वरन किसी संस्थान के लिये भी लागू होती है। पढ़िये 33 लेखकों के अनुभवों के निचोड़ वाली इस पुस्तक की समीक्षा।
लाल परी – भाग 1
"हर इन्सान के अंदर एक और रूप छिपा होता है, जेकिल और हाईड की तरह। जैसे दिन की शान्त, संकोची अरु रात होते ही लाल परी में बदल जाती है – चंचल, शोख, बीस-साला बिंदास बाला!" वातायन में प्रस्तुत है विश्व की पहली इंटरैक्टिव धारावाहिक कथा "लाल परी", प्रत्यक्षा की कलम से। पहला भाग पढ़ें और तय करें कहानी का अगला भाग कैसा हो।
हँसे न हँसे हम
जब हँसी नही आती थी तो उपहास का पात्र बनते थे, अब ताबड़तोड़ रावणनुमा ठहाके लगा लेते हैं तो भी भृकुटियाँ उठती हैं। गोया फकत एक पेशी की हरकत से जो तनाव हमें झेलना पड़ा उससे तो खुश रहने के तमाम मेडिकल फायदों का ही बेड़ा गर्क हो गया। पढ़िये विप्लव की हास्य रचना हँसे न हँसे हम।