EG-Series: अक्टुबर 2006
मन कहे
समस्या पूर्ति निरंतर का ऐसी प्रतियोगिता स्तंभ है जिसमें दिये हये चित्र और शीर्षक एक छोटी सी कविता लिखनी होती है। कविता ज्यादा बड़ी न हो तो अच्छा, चार लाईना हो तो उत्तम, हाइकू हो तो क्या कहनें! तो क्या आप तैयार हैं भाग लेने के लिये?
मुझे है आस कल की…
डॉक्टर कुलदीप सुंबली "अग्निशेखर" के व्यक्तित्व के कई पहलू हैं — कवि, लेखक, विचारक और विस्थापित कश्मीरियों के नेता। पनुन कश्मीर, जिसके वे अगुआ रहे हैं, को वे सेक्युलरिज़्म की नर्सरी मानते हैं। निरंतर संपादक रमण कौल ने जम्मू में अग्निशेखर से साहित्य, पनुन कश्मीर जैसे अनेक विषयों पर चर्चा की। संवाद स्तंभ में पढ़िये अग्निशेखर का साक्षात्कार।
राष्ट्ररंग डूबा ब्लॉगर – संजय बेंगानी
कच्चाचिट्ठा में इस बार मुलाकात कीजिये तरकश की संस्थापक तिकड़ी में से एक और प्रतिभाशाली चिट्ठाकार संजय बेंगानी से।
यायावरी शरद आया है
वातायन में पढ़िये हिमानी की कविता "समय" और राकेश खंडेलवाल की कविता "यायावरी शरद आया है"।
लाल परी – भाग 2
वातायन में आप पढ़ रहे हैं विश्व की पहली इंटरैक्टिव धारावाहिक कथा "लाल परी"। पहला भाग पढ़ कर पाठकों की आम राय थी कि केडी और अरु की चैट कुछ और चले और नाटकियता कुछ और जुड़े। हम तो हुकुम के गुलाम हैं, लेखिका प्रत्यक्षा कहती हैं, और चटपट अगला भाग जनता की डिमांड पर लिख दिया। पढ़ें कथा का दूसरा भाग पढ़ें और तय करें कहानी का अगला भाग कैसा हो।